Friday, June 1, 2012

जबतक ------

जबतक आसक्ति है , तबतक कामना रहेगी
जबतक कामना है , तबतक क्रोध रहेगा
जबतक विचार हैं , तबतक होश बन नहीं सकता
जबतक विचार उठानें की ऊर्जा है , तबतक खोज रहेगी
जब विचार निर्विचार में बदल जाते हैं तब खोज भी समाप्त हो जाती है
प्रभु की खुशबूं लेनी है तो भोग तत्त्वों का द्रष्टा बनो
यह सब मैं नहीं प्रभु श्री कृष्ण गीता में कह रहे हैं
जो -----
एक सांख्य - योगी हैं और अर्जुन के रथ के चालक
अर्जुन से कृष्ण तक की यात्रा का नाम है गीता
==== ओम् ======

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