नव वर्ष का सूर्य उदित हो रहा है ...
नव वर्ष के नाम पर लोगों में एक नयी उमंग है ....
नव वर्ष एक अन्यी ऊर्जा का संचार कर रहा है , सबके ह्रदय में , ऐसा बाहर - बाहर से दिखता है ....
सभीं नव वर्ष मंगल मय हो की धुन में मस्त हैं ,ऐसा दिख रहा है ....
नव वर्ष के लिए जितनें लोग अलमस्ती को दिखा रहे हैं , उनमें वही पुराना मन और सोच है , सभीं नये वर्ष को उत्सव रूप से मना रहे हैं लेकिन उन में कोई स्वयं को बदलनें के लिए राजी नहीं / लोगों के पुरानें मन - बुद्धि में नया वर्ष सिमट कर रहता है और धीरे - धीरे अपनी कमजोर पड़ गयी दृष्टि से आगे आ रहे नव वर्ष को देख कर आँसू टपकाता हुआ दम तोड़ जाता है /
बिचारा वह नया वर्ष जो कल नव वर्ष था , आज पुराना वर्ष बन हुआ है और जो कल तक सबकी गोदी में खेला करता था वह आज सबकी पीठ पीछे अनाथ की तरह पड़ा हुआ सिसक रहा है /
दिन हो या रात
वर्ष हो या शताब्दी
इंसान हो या अन्य जीव
सब काल चक्र की गति के संबोधन हैं
सभीं यह दिखाते हैं कि हर पल उसे अपनी स्मृति में जगह दो ....
जो समयातीत है , जो सनातन है
वर्ष बदलता नहीं हम उसे बदलते रहते हैं , अपनें को देखना ज़रा , पिछले साल और इस साल में आप में क्या परिवर्तन हुआ है , हाँ आप की अपनी उम्र एक साल जरुर बढ़ गयी है /
वर्ष बदलाव के माध्यम से स्वयं को बदलनें का यत्न करो
स्वयं के बदलाव से देश बदलेगा
देश बदलाव से संसार बदले ग
और बदलाव का ही दूसरा नाम है परम पुरुष
बदलाव में एक दिन हमें वह दिखनें लगेगा जो कभी नहीं बदलता
स्थिर की आहट ही समयातीत बनाती है
==== ओम् =====
नव वर्ष के नाम पर लोगों में एक नयी उमंग है ....
नव वर्ष एक अन्यी ऊर्जा का संचार कर रहा है , सबके ह्रदय में , ऐसा बाहर - बाहर से दिखता है ....
सभीं नव वर्ष मंगल मय हो की धुन में मस्त हैं ,ऐसा दिख रहा है ....
नव वर्ष के लिए जितनें लोग अलमस्ती को दिखा रहे हैं , उनमें वही पुराना मन और सोच है , सभीं नये वर्ष को उत्सव रूप से मना रहे हैं लेकिन उन में कोई स्वयं को बदलनें के लिए राजी नहीं / लोगों के पुरानें मन - बुद्धि में नया वर्ष सिमट कर रहता है और धीरे - धीरे अपनी कमजोर पड़ गयी दृष्टि से आगे आ रहे नव वर्ष को देख कर आँसू टपकाता हुआ दम तोड़ जाता है /
बिचारा वह नया वर्ष जो कल नव वर्ष था , आज पुराना वर्ष बन हुआ है और जो कल तक सबकी गोदी में खेला करता था वह आज सबकी पीठ पीछे अनाथ की तरह पड़ा हुआ सिसक रहा है /
दिन हो या रात
वर्ष हो या शताब्दी
इंसान हो या अन्य जीव
सब काल चक्र की गति के संबोधन हैं
सभीं यह दिखाते हैं कि हर पल उसे अपनी स्मृति में जगह दो ....
जो समयातीत है , जो सनातन है
वर्ष बदलता नहीं हम उसे बदलते रहते हैं , अपनें को देखना ज़रा , पिछले साल और इस साल में आप में क्या परिवर्तन हुआ है , हाँ आप की अपनी उम्र एक साल जरुर बढ़ गयी है /
वर्ष बदलाव के माध्यम से स्वयं को बदलनें का यत्न करो
स्वयं के बदलाव से देश बदलेगा
देश बदलाव से संसार बदले ग
और बदलाव का ही दूसरा नाम है परम पुरुष
बदलाव में एक दिन हमें वह दिखनें लगेगा जो कभी नहीं बदलता
स्थिर की आहट ही समयातीत बनाती है
==== ओम् =====