कल जो हुआ उस बात को आज क्यों ढो रहे हो , आज का दिन नया दिन है , आज तुम वह नहीं जो कल थे और आज वह भी वह नहीं जो कल था फिर कल की स्मृति में आज को क्यों ब्यर्थ में गवा रहे हो ?
जीवन को बहनें दो उसे घसीटो नहीं , वह तो प्रभु का प्रसाद है , उसे प्यार से स्वीकारो /
आना - जाना , सुख - दुःख , नरम - गरम , लगाव - विलगाव यह द्वैत्य का आलम तो ऐसा ही रहेगा लेकिन तुम इसके परे पहुँच कर उसे जरुर देख सकता है जो इन सब का श्रोत है /
==== ओम् =======
जीवन को बहनें दो उसे घसीटो नहीं , वह तो प्रभु का प्रसाद है , उसे प्यार से स्वीकारो /
आना - जाना , सुख - दुःख , नरम - गरम , लगाव - विलगाव यह द्वैत्य का आलम तो ऐसा ही रहेगा लेकिन तुम इसके परे पहुँच कर उसे जरुर देख सकता है जो इन सब का श्रोत है /
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